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(201)
Tutor Mark Assignment (TMA) 2024-25
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mŸkj % "रॉबर्ट नर्सिंग होम में"
पाठ का मूल संदेश यह है कि वृद्धावस्था में लोगों को उचित देखभाल और सम्मान मिलना चाहिए। बुढ़ापे में लोग अधिक संवेदनशील होते हैं, और उन्हें परिवार और समाज का सहारा चाहिए।^jkWcVZ uflZax gkse* okys O;fä
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mŸkj % 'इसे जगाओ'
कविता
में
सपनों
के
खोए
रहने
का
अर्थ
यह
है
कि
व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्यों को भूल जाता है। सपने देखने का मतलब है कि व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में आशावान और प्रेरित है। इन्हें पूरा करने के लिए व्यक्ति को स्पष्ट योजना और दिशा बनानी चाहिए ताकि सपने हकीकत बन सकें।
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mŸkj % इस कविता का मुख्य विषय प्रकृति-चित्रण है। तर्क:
· कविता में कवि ने रात के समाप्त होने और सुबह की ओर संकेत किया है, जो प्रकृति के विभिन्न रूपों को दर्शाता है। lqcg gksrs gh rkjksa ds vkdk'k
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fØ;kdyki gesa va/kdkj ls izdk'k] fuf"Ø;rk ls lfØ;rk] lUukVs ls Loj]
fLFkjrk ls xfr vkSj fjDrrk ls jle;rk dh vksj tkus dk lans'k nsrs gSaA
· प्रकृति की सुन्दरता और परिवर्तन को मुख्य रूप से व्यक्त किया गया है, जैसे रात का बीतना और सुबह का आना। izÑfr ls izsj.kk ysus ds fy,
mn~cks/ku fd;k x;k gS] ysfdu mn~cks/ku ds lkFk&lkFk izÑfr vkSj L=h ds
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mŸkj % ‘गिल्लू’
पाठ में मानव और पशु-पक्षी एवं प्रकृति के बीच संबंध
मानव
और
प्रकृति तथा पशु-पक्षी के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने के लिए हमारा कर्तव्य यह है कि हम उनके प्रति प्रेम और संवेदनशीलता दिखाएं। bl dFkk ds ek/;e ls gesa izkd`frd lalk/kuksa ds egRo dks
le>us dk lans’k feyrk gS vkSj ;g fn[kkrk gS fd euq”; vkSj i’kq&i{kh
,d&nwljs ds lkFk lg;ksxiwoZd jgdj vius vkl&ikl dh izkd`frd fofo/krk dk
lEeku dj ldrs gSaA
सुझाव:
· हमें
पशु-पक्षियों की देखभाल और संरक्षण के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।
· मानव
और
प्रकृति के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और पुनर्नवीनीकरण को बढ़ावा देना चाहिए।
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मुंशी प्रेमचंद
मुंशी
प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, और वे हिंदी और उर्दू साहित्य के महान लेखक थे। प्रेमचंद को "उपन्यास सम्राट" के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को अत्यधिक सरलता और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। उनके साहित्यिक कार्यों में भारतीय समाज की समस्याओं, विशेष रूप से गरीबी, भ्रष्टाचार, अन्याय, जातिगत भेदभाव और ग्रामीण जीवन का चित्रण बहुत गहराई से किया गया है।
प्रेमचंद की सबसे प्रसिद्ध कृतियों में "गोदान", "गबन", "निर्मला", और "रंगभूमि" शामिल हैं। उनकी कहानियाँ सरल भाषा में लिखी गईं, लेकिन वे गहरी सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को उजागर करती हैं। उदाहरण के लिए, "गोदान"
में
एक
किसान
होरी
की
कहानी
है,
जो
अपने
जीवन
की
कठिनाइयों से जूझता है। इस उपन्यास में प्रेमचंद ने दिखाया है कि किस प्रकार आर्थिक असमानता और जमींदारी प्रथा ने किसानों के जीवन को प्रभावित किया।
प्रेमचंद के साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने समाज के निचले तबके, विशेषकर किसानों और मजदूरों के जीवन को केंद्र में रखा। उनकी कहानियाँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं थीं, बल्कि समाज सुधार और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थीं। प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई और एक नई सोच का प्रवाह किया।
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा छायावाद युग की प्रमुख कवयित्री थीं। उनकी कविताएँ गहरी भावुकता और संवेदनशीलता से भरी हुई हैं, जिनमें उन्होंने मानवीय पीड़ा और समाज में महिलाओं की स्थिति का चित्रण किया। महादेवी वर्मा का साहित्य मुख्य रूप से स्त्री-विमर्श और महिलाओं के अधिकारों पर आधारित था। उनकी कविताओं में प्रकृति और मानवीय अनुभवों का सुंदर चित्रण मिलता है।
उनकी
सबसे
प्रसिद्ध कृतियों में "यामा", "नीरजा", और "दीपशिखा" शामिल हैं। महादेवी वर्मा ने अपनी कृतियों में नारी के संघर्ष, उसकी पीड़ा और उसकी आंतरिक शक्ति को बहुत ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। उदाहरण के लिए, "यामा"
में
उनकी
कविताएँ नारी के भीतर की भावनाओं और उसकी स्वतंत्रता की इच्छा का गहरा चित्रण करती हैं।
महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्म भूषण भी शामिल हैं। उनके साहित्यिक कार्यों ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और उन्हें हिंदी साहित्य की सबसे महत्वपूर्ण स्त्री लेखिकाओं में गिना जाता है।
जयशंकर प्रसाद
जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख कवि और नाटककार थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में इतिहास, पौराणिक कथाओं और समाज के मुद्दों का मिश्रण किया। प्रसाद ने भारतीय साहित्य में एक नई शैली का विकास किया, जिसे छायावाद कहा जाता है, जो मुख्य रूप से आत्माभिव्यक्ति और मानव जीवन के गूढ़ रहस्यों पर केंद्रित था।
प्रसाद की प्रमुख कृतियों में "कामायनी", "आंसू", और "लहर" शामिल हैं। "कामायनी" को उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृति माना जाता है, जिसमें मानवता, प्रेम, त्याग और ज्ञान के विभिन्न पक्षों का गहन चित्रण किया गया है। यह महाकाव्य भारतीय दर्शन और समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है।
प्रसाद ने न केवल कविताएँ लिखीं, बल्कि नाटकों और कहानियों में भी अपनी कलम का जादू दिखाया। उनके नाटक जैसे "स्कंदगुप्त" और "चंद्रगुप्त" भारतीय इतिहास और संस्कृति का गहन अध्ययन प्रस्तुत करते हैं। उनकी रचनाओं में देशभक्ति, समाज सुधार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए प्रेरणा मिलती है।
रामधारी सिंह दिनकर
रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के एक महान राष्ट्रवादी कवि थे, जिन्हें उनकी क्रांतिकारी कविताओं के लिए जाना जाता है। उनका साहित्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय लिखा गया और इसमें स्वतंत्रता, राष्ट्रीयता और समाज के प्रति उनकी गहरी चिंता झलकती है। दिनकर की कविताएँ जनमानस में जोश और क्रांति की भावना भरने वाली होती थीं।
उनकी
प्रमुख कृतियों में "रश्मिरथी", "कुरुक्षेत्र", और "परशुराम की प्रतीक्षा" शामिल हैं। "रश्मिरथी" में महाभारत के कर्ण की कहानी को प्रस्तुत किया गया है, जो संघर्ष, स्वाभिमान और आत्मसम्मान का प्रतीक है। कर्ण की तरह ही दिनकर की कविताएँ भी अन्याय के खिलाफ संघर्ष और मानवता के लिए न्याय की बात करती हैं।
दिनकर
की
कविताओं में राष्ट्रीयता और समाज सुधार के तत्व प्रमुख रूप से दिखाई देते हैं। उनकी काव्य शैली ओजपूर्ण और जोशीली थी, जिसने समाज को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हरिवंश राय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन हिंदी के एक महान कवि थे, जिन्हें उनकी कृति "मधुशाला" के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं, जीवन के संघर्षों और आशावाद से भरी होती हैं। "मधुशाला" एक रूपक कविता है जिसमें जीवन को एक मदिरालय के रूप में प्रस्तुत किया गया है, और कवि ने उसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं का गहन चित्रण किया है।
बच्चन
की
काव्य
शैली
सरल
लेकिन
गहरी
होती
थी।
उन्होंने अपनी कविताओं में प्रेम, संघर्ष, जीवन और मृत्यु के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया। उनकी अन्य प्रसिद्ध कृतियों में "मधुबाला", "मधुकलश", और "निशा निमंत्रण" शामिल हैं।
हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ जीवन के विभिन्न अनुभवों और भावनाओं का प्रतीक होती हैं। उन्होंने जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया और कठिनाइयों के बावजूद आशावादी बने रहने की प्रेरणा दी। बच्चन को उनके साहित्यिक योगदान के लिए पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
निष्कर्ष
मुंशी
प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, रामधारी सिंह दिनकर, और हरिवंश राय बच्चन—इन पाँचों रचनाकारों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। प्रत्येक ने अपने-अपने तरीके से समाज, राजनीति, और मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को चित्रित किया। प्रेमचंद ने जहाँ समाज के निचले तबके की समस्याओं को सामने लाया, वहीं महादेवी वर्मा ने नारी विमर्श को गहराई से समझा। जयशंकर प्रसाद ने छायावादी कविता के माध्यम से आत्मा की गहराई को छुआ, जबकि दिनकर ने राष्ट्रवाद और समाज सुधार की भावना को अपनी कविताओं में उकेरा। हरिवंश राय बच्चन ने जीवन के संघर्षों और भावनाओं को काव्य रूप में प्रस्तुत किया। इन सभी ने हिंदी साहित्य को एक नई ऊँचाई प्रदान की।
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