Free Nios Solved Carnatic Sangeet (243) Tutor Mark Assignment (TMA) 2024-25
Nios Class 10 Tutor Marked Assignment 2024-25 March/April 2025 & Ocotber/November 2025 Exam
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mŸkj % भारतीय संगीत में स्वर वाक्यों और राग को सजाने और सुंदर बनाने के लिए कई तत्वों का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख तत्व हैं:
1. गमक: यह स्वर के कंपन को दर्शाता है, जो स्वर को अधिक जीवंत और प्रभावशाली बनाता है। गमक का उपयोग स्वर की गहराई और तीव्रता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
2. मींड: यह एक स्वर से दूसरे स्वर तक चिकनी ढलान के साथ जाने की प्रक्रिया है, जिससे स्वर में मधुरता और लयात्मकता आती है। मींड का उपयोग स्वर वाक्य को जोड़ने और उन्हें अधिक भावपूर्ण बनाने के लिए किया जाता है।
3. कण : यह छोटे-छोटे स्वरों का सूक्ष्म उपयोग है, जो मुख्य स्वर के साथ एक हल्की सजावट जोड़ता है। कण स्वर के सौंदर्य को बढ़ाता है और राग की प्रस्तुति को अधिक संवेदनशील बनाता है।
4. मुरकी : यह एक प्रकार का त्वरित और लघु स्वर अलंकरण है, जिसमें स्वर की तेजी से आवृत्ति होती है। मुरकी राग के भाव को गहराई देती है।
5. अंदोलन : यह स्वर का धीमी गति से कंपन है, जो राग को एक विशेष भावनात्मक रंगत देता है।
ये सभी तत्व राग और स्वरों की प्रस्तुति को न केवल तकनीकी रूप से उत्कृष्ट बनाते हैं, बल्कि उनमें निखार और सौंदर्य भी जोड़ते हैं, जिससे श्रोता अधिक गहराई से संगीत का आनंद ले सकते हैं।
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mŸkj % कर्नाटिक संगीत में स्वरों का उचित आरोहण (ascending) और अवरोहण (descending) क्रम बेहद महत्वपूर्ण होता है। सात मुख्य स्वर हैं:
सा, री, ग,
म, प, ध,
नि
राग की पहचान इन स्वरों के आरोहण और अवरोहण के सही क्रम से होती है। आरोहण में स्वर निम्न से उच्च क्रम में बढ़ते हैं (उदाहरण: सा-री-ग-म-प-ध-नि-सा), जबकि अवरोहण में उच्च से निम्न स्वर की ओर आते हैं (उदाहरण: सा-नि-ध-प-म-ग-री-सा)।
हर राग के लिए स्वरक्रम अलग हो सकता है, और इसे सही तरीके से प्रस्तुत करना संगीत की शुद्धता और सुंदरता को बनाए रखता है।
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mŸkj % दो प्रमुख वाद्ययंत्र जिनमें तारों को कंपन कर ध्वनि उत्पन्न की जाती है:
1. सितार: यह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का प्रमुख वाद्ययंत्र है। इसमें कई तार होते हैं, जिन्हें मिजराब की सहायता से बजाया जाता है। तारों को छूने और खींचने से ध्वनि उत्पन्न होती है, जो राग के आधार पर नियंत्रित होती है।
2. वीणा : यह कर्नाटिक संगीत का महत्वपूर्ण वाद्ययंत्र है। इसमें चार मुख्य तार होते हैं, जिन पर उंगलियों से कंपन उत्पन्न किया जाता है। वीणा का ध्वनि उत्पादन तारों की लंबाई, मोटाई और खिंचाव पर निर्भर करता है, जिससे मधुर ध्वनि निकलती है।
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mŸkj % हारमोनियम और शहनाई भारत में अत्यधिक लोकप्रिय नहीं हो सके, इसके कुछ
प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :
1. स्वर के लचीलेपन की कमी : हारमोनियम और क्लैरिनेट में स्वर की लचीलेपन की कमी होती है। भारतीय
शास्त्रीय संगीत में **मींड** और **गमक** जैसे अलंकरण महत्वपूर्ण होते हैं, जो इन वाद्ययंत्रों
पर आसानी से संभव नहीं हैं।
2. विदेशी उत्पत्ति : ये दोनों वाद्ययंत्र विदेशी मूल के हैं और भारतीय संगीत की पारंपरिक
ध्वनियों से मेल नहीं खाते, जिससे उन्हें भारतीय संगीत प्रेमियों द्वारा तुरंत स्वीकार
नहीं किया गया।
3. स्थिर स्वर : हारमोनियम
में हर स्वर एक निश्चित ऊँचाई पर होता है, जबकि भारतीय संगीत में स्वर को खींचने और
मोड़ने (मींड) की आवश्यकता होती है, जो हारमोनियम और क्लैरिनेट में सीमित है।
4. वाद्य की बनावट : भारतीय
संगीत में तानों और आलाप का विशेष महत्व है, जिसे हारमोनियम और क्लैरिनेट पर उतनी सुंदरता
से प्रस्तुत नहीं किया जा सकता, जितना अन्य भारतीय वाद्यों पर।
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mŸkj % सरली वरिसाई कर्नाटिक संगीत की शुरुआती अभ्यास पद्धति है, जो स्वरों की मूलभूत समझ विकसित करने में सहायक होती है। इसके चार प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं:
1. आरोहण-अवरोहण : सरली वरिसाई में स्वरों को सही क्रम में आरोहण (सा-री-गा-म) और अवरोहण (सा-नि-ध-प) में प्रस्तुत किया जाता है।
2. लय और
ताल का अभ्यास
: यह तालबद्ध तरीके से स्वरों को प्रस्तुत करने का प्रारंभिक अभ्यास है, जिससे लय की समझ विकसित होती है।
3. स्वर शुद्धता : इससे शुद्ध स्वरों का अभ्यास होता है, जिससे सुरों को सही ढंग से गाने की क्षमता बढ़ती है।
4. स्थिरता : यह प्रारंभिक अभ्यास स्थिरता और धैर्य विकसित करता है, जिससे संगीतकार स्वर पर नियंत्रण प्राप्त करता है।
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mŸkj % यहाँ कर्नाटिक संगीत में उपयोग होने वाले छह प्रमुख तकनीकी शब्दों का विवरण दिया गया है :
1. राग: राग कर्नाटिक संगीत की धुन या स्वर-संगति है, जिसमें आरोहण (चढ़ाई) और अवरोहण (उतराई) का विशेष क्रम होता है। प्रत्येक राग एक विशेष भाव या मूड उत्पन्न करता है, जैसे भक्ति, शांति या वीरता।
2. ताल : ताल संगीत में समय या लय की इकाई है, जिसमें विभिन्न मात्राओं का संयोजन होता है। यह किसी भी संगीत रचना की लयबद्ध संरचना को निर्धारित करता है।
3. स्वर : संगीत के मूलभूत स्वर होते हैं - सा, री, ग, म, प, ध, नि। ये सात स्वर किसी भी राग की नींव होते हैं और इन्हीं से राग का निर्माण होता है।
4. श्रुति : शृंगार संगीत में सूक्ष्म ध्वनियों या स्वर के सूक्ष्म भेद को दर्शाता है। यह स्वरों के बीच की अंतराल को दर्शाता है और इसे 22 श्रुतियों में विभाजित किया जाता है।
5. गमक : यह स्वर को झुकाव या कंपन देने की तकनीक है, जिससे संगीत में भाव और गहराई आती है। गमक राग को सुंदर और भावपूर्ण बनाता है।
6. मींड : मींड एक स्वर से दूसरे स्वर तक बिना किसी रुकावट के धीरे-धीरे जाने की प्रक्रिया है। यह स्वरों के बीच एक चिकना संधि बनाता है, जो संगीत को अधिक मधुर और लयबद्ध बनाता है।
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